भारत सरकार एक ऐसा सिस्टम विकसित कर रही है जो भूकंप आने से पहले चेतावनी देगा. इस सिस्टम का पायलट प्रोजेक्ट हिमालयी क्षेत्र में शुरू किया गया है. सरकार ने संसद में बताया कि हिमालयी क्षेत्र के लिए भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली (Earthquake Early Warning – EEW System) विकसित करने की कोशिश जारी है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में यह बताया है. यह जानकारी ऐसे समय में आई है जब देश में बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं और खासतौर पर पहाड़ी इलाकों में होने वाले विनाश को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं.
‘भूकंप की सटीक भविष्यवाणी संभव नहीं’
सिंह ने कहा कि नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने हिमालयी क्षेत्र के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत EEW सिस्टम विकसित करने की पहल की है. हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि पूरी तरह से सटीक भूकंप की भविष्यवाणी दुनिया में कहीं भी संभव नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हम समानांतर रूप से भूकंप से बचाव के उपायों पर भी ध्यान दे रहे हैं, जैसे जागरूकता बढ़ाना, आपदा प्रतिक्रिया प्रशिक्षण, मौजूदा इमारतों को भूकंप-प्रतिरोधी बनाना और नई निर्माण तकनीकों को बढ़ावा देना.’
देशभर में 166 जगहों से रखी जा रही नजर
संसद में उत्तर प्रदेश, गुजरात और नागालैंड के सांसदों ने हाल ही में बार-बार आने वाले झटकों को लेकर चिंता जताई. इस पर डॉ. सिंह ने कहा कि NCS ने पूरे देश में 166 स्थायी भूकंपीय ऑब्जर्वेटरीज स्थापित की हैं, जिनमें से 8 सिर्फ उत्तराखंड में हैं. उत्तराखंड सीस्मिक जोन IV और V में आता है. यह क्षेत्र भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट की टेक्टोनिक सीमा के करीब होने के कारण अत्यधिक संवेदनशील है.
उन्होंने यह भी बताया कि भूकंप की निगरानी 24×7 की जाती है और किसी भी झटके की जानकारी तुरंत राज्य और केंद्र सरकार की आपदा प्रबंधन एजेंसियों को दी जाती है. विभिन्न क्षेत्रों में 2.5 से लेकर 4.5 मैग्नीट्यूड या उससे अधिक के भूकंप दर्ज किए जाते हैं.
मौसम पूर्वानुमान में गलतियां सुधारने की भी कोशिश
सांसदों ने भारतीय मौसम विभाग (IMD) द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान में हालिया गलतियों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने खासकर केरल के वायनाड में हुई भारी बारिश का जिक्र किया. इस पर मंत्री ने कहा कि स्थानीय स्तर पर भारी बारिश, बादल फटने और आंधी-तूफान जैसी घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी करना अब भी एक चुनौती है.
उन्होंने बताया कि 2024 में 15% भारी वर्षा की घटनाओं को वास्तविक समय में नहीं पकड़ा जा सका. जबकि 2020 में यह आंकड़ा 23% था. साथ ही, 1-दिन के पूर्वानुमान की सटीकता पिछले पांच वर्षों में 8% बढ़ी है.
मंत्री ने कहा कि मौसम पूर्वानुमान को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) की मदद से और अधिक सटीक बनाने की योजना है. उन्होंने यह भी बताया कि 2023-24 में गंभीर मौसम घटनाओं (भारी बारिश, चक्रवात, आंधी, लू और शीतलहर) की भविष्यवाणी की सटीकता 2014 की तुलना में 40% बेहतर हुई है.