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हिस्ट्रीशीटर मुकेश बनिया बेच रहा है खुलेआम गांजा, पुलिस के द्वारा कार्रवाई नहीं करने पर उठ रहे है सवाल

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रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नेहरू नगर इलाके में हिस्ट्रीशीटर मुकेश बनिया की खुलेआम गांजे की बिक्री ने शहर की सुरक्षा व्यवस्था को सवालों के घेरे में डाल दिया है। स्थानीय निवासियों ने इस संबंध में चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इस प्रकार की अवैध गतिविधियों से युवाओं की सेहत और समाज पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की अवैध गतिविधियों पर काबू पाने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। “हमें केवल पुलिस की कार्रवाई का ही इंतजार नहीं करना चाहिए। समाज को भी इस मुद्दे पर आगे आकर आवाज उठानी होगी ताकि युवाओं को इस नशे के जाल में फसने से बचाया जा सके।”
वर्तमान में, रायपुर में गांजे की बिक्री का यह मामला केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सम्पूर्ण समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो आने वाले समय में यह और भी गंभीर रूप ले सकता है। इस मामले में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि न केवल मुकेश बनिया जैसे अपराधी सलाखों के पीछे जाएं, बल्कि समाज में नशे के कारोबार के खिलाफ एक कड़ा संदेश भेजा जा सके।
यह स्पष्ट है कि रायपुर में मुकेश बनिया द्वारा की जा रही अवैध गांजा बिक्री एक गंभीर मुद्दा है, जिसे बिना किसी समय गंवाए सुलझाने की आवश्यकता है। पुलिस और समाज दोनों को मिलकर इस समस्या का समाधान करना होगा, ताकि समाज को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण मिल सके।
मुकेश बनिया के खिलाफ 25 मामले अलग-अलग थानों में दर्ज
मुकेश बनिया के खिलाफ गांजा तस्करी, हत्या के प्रयास, मारपीट, चाकूबाजी, अवैध उगाही समेत करीब 25 मामले शहर के अलग-अलग पुलिस थानों में दर्ज है। कुछ दिन पहले कोतवाली इलाके में मुकेश बनिया ने एक युवक को बीच रास्ते में रोककर चाकू मार दिया था। मुकेश के खिलाफ कई अपराध हैं और गांजा व सट्टे के कारोबार में भी सक्रिय है।
नहीं हो रही मॉनिटरिंग
करीब साल भर पहले पुलिस ने गुंडे-बदमाशों और हिस्ट्रीशीटरों की हर थानों में नए सिर से लिस्ट बनाने और उनकी लगातार मॉनिटरिंग की शुरुआत की थी। गुंडे-बदमाशों और हिस्ट्रीशीटरों के वर्तमान कामकाज, आय का स्त्रोत, परिजनों का मोबाइल नंबर आदि डाटा भी थानों में अपडेट करना था। लेकिन अधिकांश थानों में अपराधियों की मॉनिटरिंग नहीं हो रही है और न ही उनके वर्तमान गतिविधियों के बारे में भी रिकार्ड रखा जा रहा है।

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